चयन प्रक्रिया

चयन प्रक्रिया

चयन प्रक्रिया में चरणों की श्रृंखला है। प्रत्येक चरण सफलतापूर्वक तय करना चाहिए इसके पहले आवेदक अगले की तरफ बढ़ें। चयन प्रक्रिया निरंतर अवरोधों एवं गतिरोधों की श्रृंखला है जो आवेदक को पार करना पड़ेगा। ये अवरोध अयोग्य उम्मीदवार की चयन प्रक्रिया के दौरान किसी भी समय बाहर करने के लिए बनाए गए हैं। व्यावहारिक रूप से संगठनों में यह प्रक्रिया भिन्न-भिन्न होती है तथा एक ही संगठन में दो कार्यों में भिन्नता होती है वरिष्ठ प्रबंधकों की चयन प्रक्रिया लंबी एवं सख्त होती है जबकि निचले स्तर के कर्मचारियों के लिये यह सरल एव छोटी होती है। निम्न चित्र एक सामान्य चयन प्रक्रिया दर्शाता है।
कर्मचारियों के चयन में शामिल चरणों का वर्णन निम्नानुसार है:

1. बाहरी एवं आंतरिक वातावरण : चयन कई बाहरी एवं आंतरिक वातावरण कारकों से प्रभावित होता है। महत्त्वपूर्ण बाहरी कारक जो चयन को प्रभावित करते हैं वे श्रम बाजार में माँग एवं विशेष कौशल की आपूर्ति, बेरोजगारी दर, श्रम बाजार की स्थिति, वैधानिक एवं राजनीतिक मुद्दे आदि। आंतरिक कारक संगठन की छवि, संगठन की नीति, मानव संसाधन योजना तथा भाड़े पर लेने की लागत है।

2. ग्रहण करना : आवेदनों को प्राप्त कर छँटाई करना चयन प्रक्रिया का पहला कदम है। व्यक्तिगत विभाग की रिसेप्शनिस्ट मुलाकातियों को नये रोजगार की जानकारी देती है एवं आवेदन ग्रहण करती है। आवेदनों की छँटाई बहुत जरूरी है ताकि पदों की आवश्यकता को पूर्ण न करने वाले आवेदनों को बाहर किया जाये। कई व्यक्ति जरूरी योग्यता एवं अनुभव न होने के बाद भी आवेदन प्रेषित करते हैं। इन आवेदनों को यदि प्रारंभिक साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है तो वह उनका एवं कंपनी दोनों का समय बर्बाद करेंगे। इन आवेदनों को सीधे निरस्त कर संरचना आवेदक को भेज देनी चाहिए।

3. प्रारंभिक साक्षात्कार : प्रारंभिक साक्षात्कार छँटाई की प्रक्रिया है जिसमें भावी उम्मीदवार को संगठन तथा कार्य की प्रकृति के संबंध में जानकारी दी जाती है। उम्मीदवारों से उनकी शिक्षा कौशल अनुभव अपेक्षित वेतन आदि की जानकारी प्राप्त की जाती है। यदि उम्मीदवार उपयुक्त पाया जाता है तो उसका अगले परीक्षण के लिए चयन किया जाता है। यह ‘सौजन्य साक्षात्कार’ जैसा यह अक्सर कहा जाता है। विभाग की अयोग्यों को पहचानने में मदद करता है। प्रारंभिक साक्षात्कार कंपनी तथा उम्मीदवार दोनों का समय तथा मेहनत बचाता है। यह उम्मीदवार की अनावश्यक प्रतीक्षा एवं अनुपयुक्त उम्मीदवार पर आगे की प्रक्रिया पर धन के खर्च से बचाता है। प्रारंभिक साक्षात्कार संक्षेप में होता है तथा सामान्य तथा काउंटर कनिष्ठ प्रबंधक या रिसेप्शन कार्यालय द्वारा किया जाता है। चूँकि प्रारंभिक साक्षात्कार के दौरान निरस्ती की दर ज्यादा होती है। अतः साक्षात्कारता को उदार, विनम्र ग्रहणशील तथा अनौपचारिक होना चाहिये। उसे आवेदक को कंपनी का अच्छा लेना देना चाहिए ताकि आवेदक दूसरा अच्छा दृश्य देख सके एवं नयी आवश्यकता होने पर पुनः आवेदन की आशा कर सके।

4. रिक्त आवेदन पत्र : एक रिक्त आवेदन पत्र विस्तृत रूप से स्वीकृत युक्ति है जिससे भावी आवेदक से जानकारी प्राप्त की जाती है। इस तरह से लिखित जानकारी आवेदक की स्वयं की लेखनी में होती है। यह व्यक्तिगत विभाग को आवेदक की उपयुक्तता के बारे में प्रारंभिक निष्कर्ष पर पहुँचाता है। आवेदन पत्र से प्राप्त जानकारी को चयन समिति के अन्य सदस्यों के बीच वितरित किया जाता है ताकि उन्हें विभिन्न आवेदकों के बारे में विचार करने में मदद हो सके।

रिक्त आवेदन पत्र में एकत्र जानकारी निम्न विवरणों से संबंधित होती है।

(i) स्वविवरण/बायोडाटा : बायोडाटा में आवेदक का नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि, जन्मस्थान, स्थायी पता, ऊंचाई, वजन, पहचान चिन्ह, वैवाहिक स्थिति, शारीरिक असक्षमता आदि होते हैं.

(ii) शैक्षणिक योग्यता : शैक्षणिक योग्यता का यह भाग प्राप्त शिक्षा, संस्थानों में उपस्थिति, अंकों का प्रतिशत, प्राप्त विशेष योग्यता प्राप्त तकनीकी शिक्षा, अध्ययन किये गये विषय, विशेषज्ञ के क्षेत्र से संबंधित होता है।

(iii) कार्य अनुभव : रिक्त आवेदन पत्र पूर्व अनुभव, समान या अन्य किये गये कार्य, कर्त्तव्य ही प्रकृति, प्राप्त वेतन, पूर्व नियोक्ता के नाम, वर्तमान कार्य छोड़ने का कारण के बारे में परीक्षण करता है।

(iv) सिलेबस के अतिरिक्त गतिविधियाँ : सिलेबस के अतिरिक्त गतिविधियों जैसे एनएसएस एन.सी.सी., वाद विवाद, वक्तता, खेल कूद आदि की जानकारी भी रिक्त आवेदन पत्र में प्राप्त की जाती हैं।

(v) संदर्भ : आवेदन से कुछ संदर्भों को भी माँगा जाता है। जहाँ से उसके स्वभाव एवं कार्यों के बारे में जाँच कराई जा सकती है। संदर्भ सामान्यतौर पर वे व्यक्ति होते हैं जिसके साथ आवेदक ने कार्य किया है परन्तु दूसरे रिश्तेदार नहीं होते ।

(vi) वेतन की माँग : रिक्त आवेदन में आवेदक द्वारा माँगे गये वेतन का उल्लेख किया जाता है।

रिक्त आवेदन में अधिकतम जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। माँगी गई जानकारी प्रासंगिक तथा विशिष्ट होना चाहिए। इसे आवेदित पद के अनुरूप होना चाहिये। एकत्र जानकारी संक्षेप में एवं मुद्दे पर होना चाहिए। निबंध रूपी प्रश्नों से बचना चाहिये।

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