आगमन का अर्थ


आगमन का अर्थ

एक कर्मचारी का कार्य पर्यावरण से परिचय कराना आगमन के नाम से जाना जाता है।

यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा नए कर्मचारियों का परिचय संगठन के पक्षकारों, नीतियाँ तथा उद्देश्यों से कराया जाता है। उसको संगठन में लड़खड़ाकर आगे बढ़ने के लिए छोड़ने की बजाय उसे कंपनी, उसकी नीति एवं अर्थव्यवस्था में उसकी स्थिति से व्यवस्थित तरह से परिचित कराना बेहतर होता है।

आगमन की औपचारिक परिभाषा ‘कर्मचारियों का उनके जॉब्स, उनके सहयोगियों एवं संगठन से नियोजित परिचय’

आर्मस्ट्रांग के शब्दों में आगमन है ‘एक कर्मचारी को प्राप्त करके एवं स्वागत करने की प्रक्रिया, जब वह पहली बार एक कंपनी में शामिल होता है एवं उसे जल्दी स्थिर होने एवं कार्य शुरू करने हेतु जरूरी आधारभूत सूचना देना’ ।

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि ‘आगमन या स्वस्थिति निर्धारण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक नए कर्मचारी का जॉब तथा संगठन से परिचय कराया जाता है’।

बिल्लीमोरिया के अनुसार “आगमन एक तकनीक है जिसके द्वारा एक नए कर्मचारी को परिवर्तित परिस्थितियों में पुनआवासित किया जाता है एवं संगठन के व्यवहारों, नीतियों एवं उद्देश्यों से परिचित कराया जाता है।”

अन्य शब्दों में आगमन एक स्वागत की प्रक्रिया है-विचार एक नए आने वाले का स्वागत करना है, उसे घर में महसूस कराना है एवं उसमें एक भावना को निर्मित करना है कि उसका स्वयं का जॉब, कितना भी छोटा हो, अर्थपूर्ण है एवं कुल संगठन के एक भाग के रूप में महत्त्वपूर्ण है।

आगमन के उद्देश्य तथा महत्त्व

जब भी एक नया व्यक्ति संगठन में शामिल होता है वह व्यक्तियों, कार्यस्थल तथा कार्य वातावरण से पूर्णतः अपरिचित होता है। वह असुरक्षा, लज्जा एवं घबराहट महसूस कर सकता है। आगमन इन बेचैनियों को कम करता है-वर्तमान कर्मचारियों के गैरतर्कशील डरों को हटाता है एवं सहयोगियों को नए व्यक्ति की सहायता हेतु जिम्मेदार बनाए रखता है ताकि वह आत्मविश्वास महसूस करे। एक व्यवस्थित आगमन प्रक्रिया निम्न उद्देश्यों तथा लाभों को प्राप्त करती है-

1.यह नए आने वालों में संगठन के प्रति belongingness तथा वफादारी की भावना पैदा करता है ताकि वे कंपनी के बारे में कोई गलत धारणा न बना लें क्योंकि प्रथम प्रभाव ही आखिरी प्रभाव होता है।

2.यह संगठन के लक्ष्यों तथा नए आने वालों के व्यक्तिगत लक्ष्यों के बीच में एकरूपता लाता है।

3.यह नए कर्मचारी के संगठन में एवं स्वयं में आत्मविश्वास को निर्मित करता है ताकि वह एक योग्य श्रमिक बन सके।

4.यह नए कर्मचारी को कम्पनी के बारे बारे में सूचना देता है अर्थात् इसका ढाँचा, उत्पाद, नीतियाँ, नियम तथा अधिनियम एवं कम्पनी द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सुविधाएं जैसे भोजनालय, लॉकर रूम, आराम का समय, छुट्टी के नियम आदि।

5.यह नए कर्मचारी का निरीक्षक एवं सभी श्रमिकों से परिचय कराता है जिनके साथ उसे काम करना है।

6.यह श्रमिक के लिये जॉब में सरक्षा की भावना को यह विचार प्रकट करके निर्मित करता है कि संगठन की अंतर्निहित नीति श्रमिक के प्रति उचितता है।

7.यह प्राथमिक प्रभावग्राही समय में सूचना की कमी या गलत व्यापारिक प्रभाव के कारण श्रमिक को बदलने की लागत को कम या खत्म कर देता है।

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