साक्षात्कार की प्रक्रिया
साक्षात्कार की प्रक्रिया
साक्षात्कारकर्त्ता को उम्मीदवारों के प्रभावी साक्षात्कार के लिए निम्न प्रक्रिया चरणों को अपनाना चाहिए:
(1) साक्षात्कार की तैयारी : साक्षात्कार किए जाने के पहले किसी प्रकार का नियोजन किया जाना चाहिए। सभी प्रकार के साक्षात्कारों के लिए कुछ तैयारियों की जरूरत होती है भले ही वे संरचनागत हों या गैरसंरचनागत हों। साक्षात्कार के लिए तैयारी में निम्न बातों पर विचार करना होता है।
(अ) साक्षात्कार के विशिष्ट उद्देश्य को निर्धारित करना : साक्षात्कारकर्त्ताओं को उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दिए जाने वाले विशिष्ट गुण को अग्रिम में तय करना चाहिए। ये गुण हैं चरित्र, सामाजिक सामंजस्य, मनोवृत्ति, संचार की शक्ति व वृद्धि व आगे बढ़ने की क्षमता।
(ब) साक्षात्कार के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विधि को निर्धारित करना : साक्षात्कारकर्त्ताओं को निर्देशित तथा गैरनिर्देशित दृष्टिकोण, मानक रेटिंग तथा कम व्यवस्थित मूल्यांकन एवं नोट्स लिखने तथा याददाश्त के बीच में निर्णय लेना होता है ताकि कर्मचारियों का बुद्धिमत्तापूर्ण चयन किया जा सके।
(2) साक्षात्कार की व्यवस्था : प्रभावी साक्षात्कार के लिए जरूरी है कि साक्षात्कार के सुगम आयोजन के लिए अच्छे से नियोजित सेटिंग हो। निम्न दो प्रकार की व्यवस्था होती है:
(अ) भौतिक व्यवस्था : साक्षात्कार की प्रक्रिया के दौरान टेलीफोनों, आगंतुकों या व्यक्तिगत सचिवों आदि द्वारा बहुत व्यवधान नहीं होने चाहिए। ये प्रतिरोध साक्षात्कार की निजता को व्यवधानित करते हैं तथा उम्मीदवारों की प्रास्थिति को कम कर देते हैं।
(ब) मानसिक व्यवस्था : साक्षात्कारकर्त्ता को उम्मीदवार के साथ सजातीय घनिष्ठता स्थापित करने का प्रयत्न करना चाहिए। उम्मीदवार के गंभीर साक्षात्कार के पहले मामूली वार्तालाप होना चाहिए। यह उम्मीदवार के गैर शाब्दिक व्यवहार के मूल्यांकन को संभव करेगा।
(3) साक्षात्कार का आयोजन : साक्षात्कार को सुगम तथा व्यवस्थित रूप से आयोजित किया जाना चाहिए। साक्षात्कार के सुगम तथा प्रभावी आयोजन के लिए साक्षात्कारों से निम्न की जरूरत होती है.
(अ) उम्मीदवारों के लिए चाहत को प्रदर्शित करना: लोगों के लिए चाहत को साक्षात्कार का मूलभूत दर्शन बनाना चाहिए। उम्मीदवार को सबसे ज्यादा समझने के लिए, उपयुक्त वातावरण बनाए रखा जाना चाहिए ताकि उम्मीदवार खुले व उसकी योग्यता को प्रदर्शित करे। लोगों के लिए पसंद को साक्षात्कार का नियम नहीं बनाना चाहिए लेकिन प्राथमिकता रूप में इसका पालन किया जाना चाहिए।
(ब) उम्मीदवार को बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करना : प्रश्नों के प्रकार के चयन तथा इन प्रश्नों चयन तथा इन प्रश्नों के पूछने के तरीके को उम्मीदवार को प्रोत्साहित व एन्गेज करने वाला होना चाहिए। यह साक्षात्कारकर्त्ता को उम्मीदवार की प्रकृति, मनोवृत्ति तथा व्यक्तित्व को समझने देगा।
(स) ध्यानपूर्वक सुनना : साक्षात्कारकर्त्ता को उम्मीदवार की तरफ पूरा ध्यान देना चाहिए। अधूरे रूप से सुनना उम्मीदवार का अपमान होता है।
(4) साक्षात्कार को खत्म करना : एक बुद्धिमान साक्षात्कारकर्त्ता के लिए साक्षात्कार का सुगम खात्मा जरूरी होता है। वार्तालाप को व्यवस्थित तरीके से खत्म होना चाहिए। उम्मीदवार को संकेत होना चाहिए कि साक्षात्कार खत्म देने वाला है तथा उसको आरामदायक तरीके से बाहर जाना चाहिए।
साक्षात्कार द्वारा आगे की कार्यवाही का आभास होना चाहिए। उम्मीदवार को हवा में नहीं छोड़ना चाहिए। इसका यह अर्थ नहीं है कि उसे परिणाम के बारे में वहीं बताना चाहिए पर उसे साक्षात्कार के परिणाम को सूचित करने के बारे में लिए जाने वाले भावी चरणों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए।
(5) साक्षात्कार का मूल्यांकन : साक्षात्कार के अंत पर, उम्मीदवारों को साक्षात्कार के दौरान लिए नोट्स के आधार पर मूल्यांकित किया जाना चाहिए क्योंकि उम्मीदवार के बारे में विवरण दिमाग में ताजा होते हैं। यदि साक्षात्कार के दौरान नोट्स नहीं बनाए गए हैं, तब उन्हें अब बनाना चाहिए। संरचनागत साक्षात्कार की स्थिति में रेटिंग शीट में प्रविष्टियों को पूरा किया जाना चाहिए। उसी के साथ किसी प्रकार के निर्णयों पर पहुँचना हमेशा बेहतर होता है।
साक्षात्कारकर्त्ता को गंभीर तथा ईमानदार होना चाहिए। इसे निष्पक्ष होना चाहिए। उसका उम्मीदवार के चयन के प्रतिवैज्ञानिक दृष्टिकोण होना चाहिए तथा उस जॉब के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार रख उचित चयन करना चाहिए जिसके लिए साक्षात्कार लिया गया है। चयन वस्तुनिष्ठ, पक्षपात, प्रभावों तथा भावनाओं से स्वतंत्र होना चाहिए।