सामाजीकरण प्रोग्राम के प्रकार
सामाजीकरण प्रोग्राम के प्रकार
1. औपचारिक/अनौपचारिक-नए कर्मचारी सीधे उनके जॉब्स में डाले जा सकते हैं एवं उन्हें उन लोगों से विभेदित करने का प्रयत्न नहीं किया जाता जो काफी समय से कार्य कर रहे हैं। ऐसी स्थितियों में, अनौपचारिक सामाजीकरण कार्य पर होता है तथा नए सदस्य पर थोड़ा या बिल्कुल विशेष ध्यान नहीं दिया जाता। इसके विपरीत सामाजीकरण औपचारिक हो सकता है। जब प्रोग्राम ज्यादा औपचारिक होता है, तब जितना ज्यादा नए कर्मचारी को वर्तमान कार्य setting से विभेदित किया जाता है एवं उसकी भूमिका को नए आए के रूप में स्पष्ट किया जाता है।
2. व्यक्तिगत विरुद्ध सामूहिक-सामाजीकरण प्रोग्राम या तो विशिष्ट व्यक्ति के लिए या नए प्रवेशकों के एक समूह के लिए हो सकता है। व्यक्तिगत दृष्टिकोण से सामूहिक सामाजीकरण की तुलना में निम्न सजातीय दृष्टिकोण विकसित होते हैं। अनौपचारिक ढाँचे की तरह, व्यक्तिगत सामाजीकरण से व्यक्तिगत अंतर तथा दृष्टिकोण बने रहते हैं। लेकिन हर व्यक्ति का व्यक्तिगत तौर पर सामाजीकरण करना महँगा तथा समय लगने वाला है। यह नए प्रवेशकों को अपनी बेचैनियों व चिंताओं को उनके साथ साझा नहीं करने देता जो समान स्थितियों में हैं।
नए सदस्यों को सामूहिक समूहों में सामाजीकरण करवाने से दूसरों के साथ सम्बन्ध बना लेते हैं जो उनकी समायोजन समस्याओं के साथ परानुभूति रख सकते हैं। भर्तीवानों के पास लोग होते हैं जिनके साथ वे एकीकरण एवं सीखने को साझा कर सकते हैं। समूह समस्याओं को साझा करते हैं एवं प्राय: समूह सदस्यों के बीच संगठन पर एक साझा दृष्टिकोण का निर्माण करते हैं।
व्यवहार में ज्यादातर बड़े संगठन व्यक्तिगत सामाजीकरण को अव्यावहारिक पाते हैं। वे समूह सामाजीकरण तकनीकों पर निर्भर रहते हैं क्योंकि उनका उद्देश्य सभी नए भर्ती वालों के बीच एकरूपता विकसित करना है। साथ ही एक समूह संगतता को क्रियान्वित एवं निर्मित करना आसान है जो टीम निर्माण गतिविधियों में परिवर्तित हो जाए। छोटे संगठन जिनमें एक दिए समय पर अपेक्षाकृत कम भर्तियाँ एवं सामाजीकरण हेतु थोड़े नए प्रवेशक होते हैं प्राय: व्यक्तिगत दृष्टिकोण का उपयोग
करते हैं।