आगमन के तत्त्व
आगमन के तत्त्व
एक अच्छे आगमन प्रोग्राम में निम्न तीन तत्त्व होते हैं-
1. सूचना में परिचयात्मक-एक नए व्यक्ति को कम्पनी के इतिहास तथा कम्पनी के उत्पादों, उसके संगठनात्मक ढाँचे, सेविवर्गीय नीतियों, कम्पनी के छुट्टियों, उपस्थिति, वेतन आदि से सम्बन्धित नियमों तथा अधिनियमों के सम्बन्ध में प्रारम्भिक सूचना अनौपचारिक तरीके से या समूह सत्रों में दी जानी चाहिए।
2. जॉब पर सूचना- एक नए व्यक्ति को विभाग के निरीक्षक द्वारा भी सूचना दी जानी चाहिए जहाँ उसे जॉब पर रखा गया है। यह सूचना या तो विभागीय सुविधाओं तथा जरूरतों के बारे में जैसे जॉब की प्रकृति, उसके दायित्व की सीमा आदि हो सकती है या कर्मचारी की गतिविधियों जैसे मनोरंजन सुविधाएं, संस्थाएं, सुरक्षा तरीके, जॉब का घटनाक्रम आदि के बारे में हो सकती है।
3. बाद का साक्षात्कार – एक बाद का साक्षात्कार कर्मचारी के जॉब पर रहने के कई हफ्तों बाद निरीक्षक या एक सेविवर्ग प्रबन्धक द्वारा लिया जा सकता है ताकि कर्मचारी द्वारा जॉब पर सामना की जा रही समस्याओं के उत्तर दिए जा सकें।
आगमन की प्रक्रिया
एक संस्थान में आगमन प्रोग्राम संगठन के आकार एवं व्यक्ति के नए पर्यावरण की जटिलता के आधार पर औपचारिक या अनौपचारिक हो सकता है। कोई आदर्श आगमन प्रक्रिया नहीं होती है। हर उद्योग जरूरतों के अनुसार उसकी स्वयं की प्रक्रियाओं को विकसित करता है। प्रक्रिया मूलतः निम्न चरणों का पालन करती है-
1.सबसे पहले, नए व्यक्ति को कार्य पर रिपोर्ट करने के लिए समय तथा एक स्थान चाहिए।
2.दूसरे, निरीक्षक या तात्कालिक बॉस को कर्मचारी से मिलकर, उसका संगठन में स्वागत करना चाहिए।
3.तीसरा, प्रशासनिक कार्य पूरा किया जाना चाहिए। ऐसे कार्य जैसे छुट्टियाँ, परिवीक्षा अवधि, चिकित्सकीय छुट्टियाँ, सुझाव व्यवस्थाओं आदि को शामिल किया जाना चाहिए।
4.चौथे, विभागीय स्वस्थिति निर्धारण को आयोजित किया जाना चाहिए। इसमें पहचान की बातें, विभाग से परिचय, विभाग के कार्यों का वर्णन एवं जॉब निर्देश एवं कोई समस्या होने पर उसे चाहिए। सहायता के लिए किसकी तरफ देखना चाहिए शामिल होने
5.अंत में, मौखिक स्पष्टीकरणों को बहुत सी छपी सामग्री, कर्मचारी हस्तपुस्तिकाओं, flayers, कर्मचारी मेन्युअल, हाउस जर्नल्स, चित्र, कहानियाँ, कॉमिक्स, कार्टूनों, पैमफ्लेट आदि के साथ लगाना चाहिए। पूरक करके साथ में प्लॉट के चारों तरफ छोटा निर्देशित चक्कर