जॉब सिलेक्शन का अर्थ
उपयुक्त व्यक्तियों की विभिन्न कार्यों में नियुक्ति बहुत आवश्यक है। अनुचित/गलत व्यक्ति के चयन का अर्थ समय एवं धन की हानि जो इस प्रक्रिया में लिये गये हैं। यह अनुपस्थिति एवं बर्खास्तगी की ओर जाता है। यह उचित तरीके के योजनाबद्ध भर्ती एवं चयन की आवश्यकता दर्शाता है।
अनुचित/उपयुक्त संख्या में भर्ती के स्रोत से आवेदनों के प्राप्त होने के बाद चयन प्रक्रिया प्रारंभ होती है। यह आवेदकों की वांछित/ प्रासंगिक जानकारी प्राप्त करने से संबंधित होती है। चयन प्रक्रिया का प्रयोजन यह ज्ञात करने के लिए होता है कि उम्मीदवार संगठन के रोजगार उपयुक्त है अथवा नहीं। सभी व्यक्ति जिन्होंने आवेदन दिया है, उपयुक्त नहीं हो सकते हैं। दूसरे अतिरिक्त रिक्त पदों से आवेदनों की संख्या कहीं ज्यादा होगी। यह और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि आवेदनों की उचित छँटाई हो ताकि जो पहली बार में अनुपयुक्त पाये गये हैं वे परीक्षा अथवा साक्षात्कार में नहीं बुलाये जायें। यह संस्थान के साथ ही उम्मीदवार के भी समय धन की बचत करेगा।
अर्थ एवं परिभाषा
चयन करने का अर्थ है पसंद करना। चयन व्यक्तियों को वांछित योग्यता एवं अहिता के आधार पर संगठन में कार्य करने हेतु छाँटने की प्रक्रिया है।
डेल योडर के अनुसार चयन वह प्रक्रिया है जिसमें उम्मीदवारों को दो वर्गों में बाँटा गया है वे जिन्हें रोजगार के लिये आमंत्रित किया गया है तथा दूसरे वे जिन्हें नहीं ।
थामस स्टोन के अनुसार चयन वह प्रक्रिया है जिसमें उम्मीदवारों में अंतर यह पहचान करने के लिये किया जाता है कि कौनसे कार्य सफलता प्राप्त करने के ज्यादा संभावित हो सकते हैं।
अतः चयन प्रक्रिया प्रबंधन हाथों में वह औजार है जो योग्य एवं अयोग्य उम्मीदवारों में विभिन्न तकनीकों जैसे साक्षात्कार परीक्षा आदि से अंतर करता है। इस परिप्रेक्ष्य में यह रोजगार की एक नकारात्मक प्रक्रिया है जिसमें कुछ ही कार्य के लिये योग्य होते हैं उन्हें रोजगार प्रदाय किया जाता है एवं दूसरों को इस अवसर से वंचित किया जाता है। एक मजबूत चयन नीति उपयुक्त उम्मीदवारों के चयन को निश्चित करती है।
चयन तथा भर्ती में अन्तर
हालांकि चयन तथा भर्ती का एक दूसरे से घनिष्ठ सम्बन्ध है पर कुछ आधारभूत अंतर इस तरह हैं-
1.चयन एक नकारात्मक प्रक्रिया है जिसमें बड़ी संख्या में आवेदकों को नकार दिया जाता है जबकि भर्ती एक सकारात्मक प्रक्रिया है जिसमें सभी के आवेदन प्राप्त किए जाते हैं।
2.भर्ती में मानव शक्ति के स्रोत को पहचाना जाता है वहीं चयन प्राप्त आवेदनों में से सर्वाधिक उपयुक्त को चुनना है।
3.तकनीकी रूप से भर्ती चयन के पहले की क्रिया है। भर्ती के बगैर चयन कर पाना संभव नहीं है।
4.भर्ती का अर्थ खोजना है वहीं चयन का अर्थ तुलना करना है।
चयन की पद्धति
चयन पद्धति विधियों की श्रृंखला या कदमों या स्थितियों से बनी होती है जिसके द्वारा आवेदक की अतिरिक्त जानकारी प्राप्त होती है। प्रत्येक स्थिति में तथ्य प्रकाश में आ सकते हैं जो उम्मीदवार या आवेदक को निरस्त कर सकती है। चयन पद्धति की उस बेरियर या रुकावट से तुलना की जा सकती है जिसे एक आवेदक को अंतिम रूप से चयन के
पहले लांघना पड़ता है।
चयन पद्धति की अनिवार्यता
चयन पद्धति ऐसी तैयार की जानी चाहिए जो काउन आवश्यकताओं से मेल खाए। पद्धति सफल होगी यदि यह निम्न तों को संतुष्ट करें:
1.आवेदकों की समुचित संख्या होना चाहिए जिसमें से आवश्यक संख्या में उम्मीदवारों का चयन किया जाता है। चयन उचित नहीं होगा यदि उम्मीदवारों की संख्या कम होगी।
2.कुछ व्यक्ति होना चाहिए जिन्हें चयन करने का अधिकार दिया गया हो। अधिकारिता व्यक्तियों के प्रकार के आधार पर दी जाती है एवं कार्य की प्रकृति पर जिसे वे करेंगे।
3.उम्मीदवार का एक स्तर तय होना चाहिए जिससे एक भावी कर्मचारी की तुलना की जा सके अर्थात् कार्य विश्लेषक द्वारा विकसित एक व्यापक कार्य विशिष्टता उपलब्ध होनी चाहिए।